हिन्दू कौन? | Hindu who?

हिन्दू कौन? | Hindu who?

'हिन्दूएक जीवन शैली है।

हमारे इस चिंतन को भारत के सर्वोच्य न्यायलय ने भी वर्ष 1995 में अपने एक निर्णय में पुष्ट किया है। 'धर्म' शब्द न तो अंग्रेजी के रिलिजन शब्द का पर्याय है और न तो सम्प्रदाय (कम्यून) का। यह मानवीय मूल्यों का व्यवहार दर्शन है । भारत में वैष्णव सम्प्रदाय, शाक्त सम्प्रदाय, शैव सम्प्रदाय इत्यादि विद्धमान हैं। वे भी कम्यून का पर्याय नहीं हैं।

हिन्दू जीवन दृष्टि

आज अनेक पन्तों, सम्प्रदयों तथा मतों को मानने वाले अपनी पुजा या उपासना के विधी-विधानों को धर्म नाम से पुकारते हैं जैसे बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिक्ख धर्म, पारसी, यहूदी, इस्लाम, और ईसाई धर्म| ये सब उपासना के मार्ग है | धर्म तो एक व्यापक, सनातन और  सत्कर्तव्यों के व्यवहार का रूप है | इसीलिए रिलीजन’, मजहब’, पंथ या सम्प्रदय शब्द से वह परिभाषित नहीं हो सकता |

धर्म की अवधारणा 

धर्म की परिभाषा करते हुए, हम कह सकते हैं कि जीव मात्र के कल्याण भाव से सत्य पर आधारित किया गया व्यवहार ही धर्म है | कहा गया है धारणाद्धर्म इत्याहुर्धर्मो धारयति प्रजा:अर्थात् जिन शाश्वत सत्य नियमों को धारण करते हैं, उन्हें धर्म कहा गया है तथा धर्म से ही प्रजा की धारण होती है”| कह सकते हैं कि एक मनुष्य दूसरे मनुष्य के साथ ऐसा व्यवहार करे जिससे सब का कल्याण हो, समाज के रूप में स्वाभाविक विकास क्रम चलता रहे तथा सृष्टि का प्रवाह ईश्वरेच्छानुसार चल सके; वही धर्म है| पुजा-पाठ, मंदिर, मठ, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च की प्रार्थनाएँ भगवान की उपासना के विभिन्न मार्ग है, धर्म नहीं है |

मनु ने धर्म के दस लक्षण इस रूप में बताए हैं ?

   “धृति: क्षमादमोअस्तेयम् शौचमिन्द्रियनिग्रह: |
  धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्म लक्षणम् ||

अर्थ:- “धृति: ( धैर्य ) क्षमा, दम ( बुरी इच्छाओं का दमन ) अस्तेय ( चोरी न करना ), शौच ( शरीर, मन की स्वच्छता ) इन्द्रिय निग्रह, धी ( विवेक ) विद्या, सत्य और क्रोध न करना ही धर्म के दस लक्षण हैं |
धर्म का ज्ञान एवं व्यवहार कहाँ से सीखते हैं?    
वेदों, धर्मग्रन्थों, ज्ञानी पुरुषों के श्रेष्ट आचरण, धर्म गुरुओं की वाणी, आदर्श व्यवहार से सीखते हैं   

हिन्दू कौन? | Hindu who? हिन्दू कौन? | Hindu who? Reviewed by Ritik Mishra on Sunday, July 28, 2019 Rating: 5

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