कारगिल के वीर | Kargil Heroes.
मश्कोह सैक्टर में 17 जाट रेजीमेंट के बहादुर जवान मेजर ऋतेश शर्मा के नेतृत्व में घुसपैठियों से जूझ रहे थे | जवान जहाँ घुसपैठियों के बंकरों पर गोलियाँ बरसा रहे थे वहीं मेजर ऋतेश शर्मा तथा कैप्टन अनुज नैयर ने चार बंकरों पर हथगोले फेंके | हथगोलों के मार से चारों बंकर ध्वस्त हो गए | दो अफसर आगे बढ़े तथा चट्टान की आड़ में मोर्चा लगाए बैठे चार घुसपैठियों को उन्होने गोलियों का निशाना बना डाला | घुसपैठिए बाई ओर के चारों बंकरों को खाली कर के भागने पर मजबूर हुए | दूर की पहाड़ी पर बैठे एक घुसपैठिए की गोली से मेजर ऋतेश शर्मा घायल हो गए | अपने वरिष्ठ अधिकारी को घायल होता देखकर कैप्टन अनुज नैयर ने आगे बढ़कर उनका स्थान ले लिया तथा जवानों को प्रोत्साहित करते हुए दुश्मन से जूझने लगे | उन्होंने रौद्र रूप धारण कर दुश्मन के कई बंकर तोड़ डाले । अचानक दुश्मन की गोलियों ने उनके दोनों घुटनों को बींध डाला । घुटनों से खून बहने लगा। इसके बावजूद रणबांकुरे नैयर मातृभूमि की रक्षा के लिए दुश्मनों से दो-दो हाथ करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए। कैप्टन शाहिद नैयर का पार्थिव शरीर नई दिल्ली स्थित जनकपुरी कालोनी लाया गया तो अनुज की माता श्रीमती वीणा नैयर तथा पिता श्री सतीश नैयर ने कहा “हमारे बेटे ने भारत के मुकुट कश्मीर के एक क्षेत्र से दुश्मनों को खदेड़ते हुए प्राणोत्सर्ग कर हमारे परिवार को गौरवान्वित किया है । ऐसे सपूत पर हमें गर्व है ।” स्वाधीनता दिवस पर कैप्टन अनुज नैयर को मरणोपरांत ‘महावीर चक्र’ से अलंकृत करने की घोषणा की गई ।
लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया- 5 मई की बात है । कारगिल क्षेत्र में पाकिस्तान की सीमा से गोलीबारी
कुछ तेज होती जा रही थी । उस समय तक यह पता नहीं चल सका कि पाकिस्तान घुसपैठिए व्यापक
स्तर पर घुसपैठ कर कई चोटियों व चट्टानों पर कब्जा करने में सफल हो चुके हैं ।कारगिल सैक्टर कि काकसर चौकी पर चौथी जाट रेजीमेंट की टुकड़ी तैनात थी । लेफ्टिनेंट
सौरभ कालिया को सुराग लगा कि इस चौकी से कुछ दूर पाकिस्तानी घुसपैठिए देखे गए हैं ।
सौरभ कालिया अपने साथ कुछ सिपाहियों को लेकर घुसपैठियों कि तलाश में गश्त पर निकल
पड़े । बर्फीली चोटियों पर भीषण शीत लहर को चीरते हुए वे आगे बदते गए । आगे बढ़ते-बढ़ते
वे नरपिशाच घुसपैठियों के चंगुल में फंस गए । जब यह ये छहों भारतीय जवान वापस नहीं
लौटे तो सेना के क्षेत्रीय मुख्यालय में तरह-तरह कि आशंकाएँ व्यक्त की जाने लगीं ।
इसी बीच इस बात की पूरी तरह भंडाफोड़ हो चुका था कि पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कारगिल के अनेक क्षेत्रों पर छल-बल से कब्जा कर लिया है । सेना उन्हें खदेड़ने
के लिए –आपरेशन विजय’ शुरू का चुकी थी । पूरा देश उस समय हतप्रभ रह गया जब 9 जून को, पूरे 35 दिन बाद पाकिस्तानी ने इन लापता छह भारतीय सैनिकों के क्षत-विक्षत
शव भारत को सौंपे । वीर सेनानी लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया का जन्म पालमपुर ( हिमाचल )
में हुआ था । सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कुछ माह पूर्व ही उन्हें लेफ्टिनेंट
का पद देकर कारगिल सैक्टर में नियुक्त किया गया था ।
kargil Vijay Diwas
Date: 26 July
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कारगिल के वीर | Kargil Heroes.
Reviewed by Ritik Mishra
on
Friday, July 26, 2019
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