हमारा गौरवशाली इतिहास- Our glorious history- Education Is Growth.


हमारा गौरवशाली इतिहास | Our Glorious History.

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पृथु- राजा वेन के पुत्र थे, जिन्होंने अपने परीश्रम और शक्ति से धरती को धन-धान्य से परिपूर्ण कर दिया था। इसीलिए पृथ्वी को उनकी पुत्री कहा जाता है।

दधीचि- सरस्वती तट पर लोक कल्याण हेतु इंद्र को स्वेच्छा से अस्थियाँ दीं, जिससे बने वज्र से वृत्रासुर नमक दैत्य का नाश हुआ ।

भृगु- सप्त ऋषियों में एक भृगु ऋषि द्वारा रचित ग्रंथ "भृगुसंहिता" ज्योतिष शास्त्र का उत्कृष्ट ग्रन्थ  था।

ध्रुव- जिन्होंने वचपन में कठोर तप कर ईस्वर के दर्शन एवं अटल-स्थान प्राप्त किया ।इन्हीं के नाम पर ध्रुवतारा को हम लोग जानते हैं| वह तेजस्वी बालक राजा उत्तानपद और सुनीति के पुत्र थे 

प्रह्लाद- दैत्यसम्राट हिरण्यकशिपु के पुत्र तथा उत्कृष्ट भगवदभक्त थे जिनके कठोर तप से उनके रक्षार्थ नृसिंह का अवतार हुआ । 

विश्वकर्मा- दैवीशक्ति से सम्पन्न, अद्य वास्तुशिल्पी एवं कलाकार । इन्होंने त्रिशूल, चक्र, वज्र आदि शस्त्रास्त्रा भी बनाए थे ।

हरिश्चंद्र- ने सपने मे विश्वामित्र को दिये राज्यदान के वचन को पूर्ण करने के लिए पत्नी, पुत्र एवं स्वयं को बेचकर दक्षिणा दी तथा सत्यव्रत का पालन किया ।

भगवान श्रीराम- इक्ष्वाकुवंश एवं अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र, भारतीय संस्कृति के मर्यादा पुरुषोत्तम । इनको विष्णु का अवतार माना जाता है ।

वसिष्ठ- इक्ष्वाकुवंश में उत्पन्न दिलीप, रघु, अज, दशरथ, राम प्रभृति राजाओं के कुलगुरु थे| इन्होंने योगवसिष्ठ की रचना की ।

वाल्मीकि- आदि कवि तथा रामायण ग्रंथ के रचयिता ।

भरत ( शाकुंतलेय )- दुष्यन्त के पराक्रमी पुत्र । इनके नाम पर हमारे देश का नाम भारत अथवा भरत खण्ड पड़ा ।

भीष्म पितामह- कुरुवंशी राजा शांतनु तथा भगवती गंगा के परमवीर के परमवीर पुत्र देवव्रत, जिनहिनने पुत्र-धर्म के पालन हेतु राजसिंहासन त्यागकर आजन्म ब्रहंचर्य व्रत धरण किया और भीष्म पितामह कहलाये ।

अर्जुन- पांडवों में युधिष्ठिर के छोटे भाई महाभारत के नायक परम धनुर्धर और कृष्णा-सखा थे ।

शकारि विक्रमादित्य- कलियुग के तीन हजार चौवालीस बर्ष (3044) बीतने के बाद और यीशु के जन्म के सत्तावन बर्ष पूर्व विक्रम संवत का प्रारम्भ माना जाता है । इस संवत का प्रारम्भ अवंतिका अथार्त उज्जयिनी के लोक-विख्यात सम्राट विक्रमादित्य की विदेशी शक आक्रांताओं पर प्राप्त अविस्मरणीय एवं ऐतिहासिक विजय से जुड़ा हुआ है । इसलिए इस सम्राट को शकारि विक्रमादित्य कहा जाता है ।   [left_sidebar]    

हमारा गौरवशाली इतिहास- Our glorious history- Education Is Growth. हमारा गौरवशाली इतिहास- Our glorious history- Education Is Growth. Reviewed by Ritik Mishra on Saturday, June 22, 2019 Rating: 5

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