अपने देश के संविधान की प्रस्तावना मेँ कहा गया है | Education Is Growth


Hello दोस्तो हम आज आपको अपने ब्लॉग के माध्यम से बताना चाहते है की हमारे देश के संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है कि..

अपने देश के संविधान की प्रस्तावना मेँ कहा गया है  Education Is Growth


“हम भारत के लोग भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, धर्म-निरपेक्ष, समाजवादी, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए और इसके सब नागरिकों को सामाजिक, विचार- अभिव्यक्ति, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, धर्म, पूजा और विश्वास की स्वतन्त्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त कराने के लिए और इसमें व्यक्ति की गरिमा का ध्यान रखने वाला और राष्ट्रीय एकता तथा अखण्डता बनाए रखने वाला बंधुत्व बढ़ाने के लिए  दृढ़-संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवम्बर, 1949 को इस संविधान को अधिनियमित अंगीकृत, और आत्मार्पित करते हैं|”


संविधान कब लागू किया गया?  

संविधान सभा के सदस्य द्वारा निर्मित इस संविधान को 26 जनवरी, 1950 को देश में लागू किया गया| संविधान में समय-समय पर अनेक संशोदन हुए हैं| अब प्रस्तावना में “धर्म-निरपेक्ष, अखण्डता तथा समाजवादी” शब्दों को 42 वें संशोदन के द्वारा बाद में जोड़ा गया है|
हमारे संविधान में नागरिकों को 6 मौलिक अधिकार दिये गए हैं| 42 वें संशोदन के बाद नागरिकों के दस मौलिक कर्त्तव्यों का भी निर्धारण किया है|
भारत के नागरिकों का यह कर्त्तव्य होगा की वह....

१. संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र-ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे|
 
२. स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को ह्रदय में संजोए रखे और उनका पालन करे|

३. भारत की प्रभुता, एकता तथा अखण्डता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे|

४. देश की रक्षा करे और आह्वान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करे|

५. भारत के सभी लोगों में समरसता और समान 

भ्रातृत्व 

की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो; ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है|

६. हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्व समझे और उसका परीक्षण करे ।

७॰ प्रकृतिक पर्यावरण की रक्षा करे और इसका संवर्धन करे तथा प्राणिमात्र के प्रति दयाभाव रखे ।

. वैज्ञानिक द्रष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे ।

९. सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे ।

१०. व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करे जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नयी उचाइयों को छु ले ।

86वां संशोदन.

११. माता-पिता या संरक्षक द्वारा 6 से 14 बर्ष के बच्चों हेतु प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना ।

इस प्रकार हम सब देशवासियों को योग्य नागरिक बनने के लिए इन कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिए |

अपने देश के संविधान की प्रस्तावना मेँ कहा गया है | Education Is Growth अपने देश के संविधान की प्रस्तावना मेँ कहा गया है | Education Is Growth Reviewed by Ritik Mishra on Friday, June 07, 2019 Rating: 5

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