नाईयों का इतिहास | History of barbers

नाईयों का इतिहास |  History of barbers.
 History of barbers
जब यूरोप और अमेरिका में “शरीर की नस काटकर रक्त बहा दो यही 

चिकित्सा है”| तब इस देश में सुश्रुत की Rhinoplasty रही आपको मालूम है Rhinoplasty भारत ने दुनिया को सिखाया है और Rhinoplasty के भारत मे 1500 से ज्यादा केंद्र थे | अंग्रेज़ो की ईस्ट-इंडिया कंपनी आने से पहले, सारे दस्तावेज़ अंग्रेज़ो के दस्तावेजों मे से निकाले गए हैं, भारत मे सबसे बड़ा Rhinoplasty का केंद्र कांगड़ा था (जो की शिमला के आगे हिमाचल मे है )और उसके आसपास 700 केंद्र थे जो Rhinoplasty सिखाते थे ,आज से 200 साल पहले मेसूर स्टेट मे 150 से ज़्यादा केन्द्र थे | एक किस्सा है जो कि अंग्रेज़ो के दस्तावेजों से मिला है, यह कोई काल्पनिक नहीं है | एक अंग्रेज़ अधिकारी था कर्नल कूट जो हैदर अली से युद्ध लड़ा हैदर अली ने उसे परास्त किया और उसकी नाक काट दी और वो अंग्रेज़ अधिकारी अपनी diary मे लिखता है मैं युद्ध में हार गया और हैदर अली ने मेरी नाक काट दी और उसके बाद मैं अपनी कटी नाक लेकर भागा तब बेलगाव में एक वैध ने मेरी सर्जरि की और 21 दिन मुझे अपने घर पर रखा और लेपन लगाया और मेरी नाक जोड़ दी 
यह सब मैं इस पार्लियामेंट के सामने कह रहा हूँ| कि भारत के वैज्ञानिकों 
में इतना ज्ञान है कि वे यह सब कर सकते हैं | हमें अपने लोगों को भारत में भेज कर यह विद्या सीखनी चाहिए |
यह उसका भाषण है (House of commons) कर्नल कूट के इस भाषण को 
सुनने के बाद अग्रेजी सरकार ने तय किया कि चलो कुछ लोगो को भेजना 
चाहिये | अंग्रेज़ आए उन्होने  यह सर्जरी सीखना शुरू किया जिन अंग्रेज़ो ने सर्जरी सीखी है वो लिख रहे हैं जो जातियाँ सर्जरी में मास्टर थी वो सब 
नाई थे , नाई 200 साल पहले सर्जन थे सोचो नाई अगर सर्जन रहे हो तो वो पिछड़ी जाति के कैसे हुये अंग्रेज़ो ने उनको 1881 के सर्वे में  पिछड़ी जाति का घोषित किया उससे पहले देश में नाई कभी भी पिछड़ी जाति में नहीं थे |1881 में सबसे पहला सनसेक्स हुआ जो आज तक चल रहा है और यह हर 10 साल में होता है | (जनसंख्या कि गणना ) अंग्रेज़ो ने पहली ही गणना में नाई को पिछड़ी जाति में डाल दिया और एक अंग्रेज़ 
कहता है यह अच्छा ही है क्योंकि यह विद्या में इतनी ऊंचे हैं कि अगर इन्हे नीचे नहीं लाओगे तो यह गुलामी कभी स्वीकार नहीं करेंगे और हमारी सरकार भी उन्हे पिछड़ी जाति ही कहती है | यह सब बहुत बड़े 
सर्जन रहे और आज से 200 साल पहले के दस्तावेज़ बताते हैं कि कांगड़ा, 
गुर्ग, मैसूर और उसके आस पास जितने केंद्र थे जो रायनोप्लास्टि सीखते थे, उन केन्द्रों में जो आचार्य थे वो नाई थे |  
              Credit : Rajiv Dixit
नाईयों का इतिहास | History of barbers नाईयों का इतिहास |  History of barbers Reviewed by Ritik Mishra on Sunday, October 27, 2019 Rating: 5

3 comments:

  1. Great dude this is tha amazing actual fact thnq to share this amazing knowledge u did a good job 🤗🤗

    ReplyDelete

Powered by Blogger.